मनहरण घनाक्षरी

मनहरण घनाक्षरी - लेखन विधा

घनाक्षरी के कई प्रकार होते है, सभी घनाक्षरियों में मनहरण घनाक्षरी सबसे ज्यादा प्रचलित विधा है।  अधिकतर लेखक , रचनाकार मनहरण घनाक्षरी लिखते हैं। यह चार छंद की होती है। प्रत्येक छंद का विन्यास (बनावट) इस प्रकार होता है -
पद 1  -  चरण 1,  चरण 2    
पद 2  -  चरण 3, चरण 4
​प्रत्येक छंद में दो पद (पंक्तियाँ) होते है।  प्रत्येक पद में 2 चरण होते है।  इस प्रकार प्रत्येक छंद में कुल 4 चरण होते है। ​

अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं हैं। मनहरण घनाक्षरी कैसे लिखें तो अब आप चिंता से मुक्त हो जाइये, क्योंकि यहाँ आपको सरलतम भाषा में मनहरण घनाक्षरी लेखन की विधा, शब्द विन्यास, वर्ण गणना, लेखन नियम आदि सभी जानकारी दी जा रही है।   
                 मनहरण घनाक्षरी में वर्ण गणना इस प्रकार होती है - 
पद 1  -  चरण 1 (8 वर्ण), चरण 2 (8 वर्ण) 
पद 2  -  चरण 3 (8 वर्ण), चरण 4 (7 वर्ण)
अंतिम वर्ण दीर्घ  (गुरु) लेने से मनहरण घनाक्षरी अत्यधिक आकर्षित व सुंदर लगती है। भारतीय छंद विधा गेय (गाने योग्य) होती है, इसलिए इसे लिखते समय शब्दों का चयन कुछ इस प्रकार करें की इसे सुगमता से गाया जा सके। सभी छंदों के अंतिम चरण (चरण - 4) का तुकांत होना आवश्यक है। 

यह वार्णिक छंद है अतः प्रत्येक वर्ण पर स्वरभार देना चाहिए। प्रेम, विरह, जीवन यथार्थ के भावों से परिपूर्ण मनहरण घनाक्षरी का विलम्बित लय में गायन आकर्षक रहता है।​ विलम्बित में आरंभ कर तीसरे चरण में आरोह लेकर सम चरण में समाप्त करें। लय को पकड़ें और लिखे- गाएँ, आपको वर्ण-गणना की आवश्यकता ही नहीं रहेगी, स्वयमेव छंद बन जाएगा। कुछ और स्वर में लहर देकर लोकगीत जैसे अतिविलम्बित लय में भी गाया जाता है। केवल वर्ण या मात्रा की गणना ही छंद नहीं है, जबतक उसमें भाव और गेयता, लयप्रवाह न हो। इसमें मोड़ और लोच देकर माधुर्य वृद्धि कर सकते हैं। केवल वीर और रौद्र रस में द्रुत लय अच्छा लगता है। ​

घनाक्षरी में वर्ण गणना के नियम -

​घनाक्षरी में मात्राओं की गणना नहीं की जाती है

घनाक्षरी में केवल वर्णों की गणना की जाती है। 

घनाक्षरी में अर्ध वर्ण की गणना नहीं की जाती है। केवल पूर्ण वर्ण को ही गिना जाता है। 
जैसे - कृष्णा - 2वर्ण, आस्तिक - 3 वर्ण आदि।

उदहारण :

छंद-1

पद 1- भोर की तरुणाई माँ, (प्रथम चरण 8 वर्ण) सुरों की शहनाई माँ (द्वितीय चरण, 8 वर्ण)
पद 2 - प्रकृति की सुर गीत, (तृतीय चरण , 8 वर्ण) माँ की पहचान है।(चतुर्थ चरण, 7 वर्ण)

पद 3 - फूलों में पराग जैसे, (प्रथम चरण, 8 वर्ण) प्यार अनुराग जैसे (द्वितीय चरण, 8 वर्ण)
पद 4 - भावना की डोर साधे,(तृतीय चरण, 8 वर्ण) ब्रह्म वरदान है। (चतुर्थ चरण, 7 वर्ण)

छंद- 2


पद 1- सपने सुहाने आएं, (प्रथम चरण, 8 वर्ण) रूठे दिल को मनाएं (द्वितीय चरण, 8 वर्ण)
मीठी-मीठी हूक उठी,(तृतीय चरण, 8 वर्ण) भावना चकोर है। (चतुर्थ चरण, 7 वर्ण(
पद 2- मन में समाई प्यास,(प्रथम चरण, 8 वर्ण) मिलन की हुई आस (द्वितीय चरण, 8 वर्ण)
तन मन वश नहीं,(तृतीय चरण 8 वर्ण) मानो प्रेम भोर है। (चतुर्थ चरण, 7 वर्ण)

          इस प्रकार बड़ी आसानी से मनहरण घनाक्षरी की रचना कर सकते हैं।

मदन मोहन शर्मा 'सजल'
कोटा (राजस्थान)

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