विधाता छंद विधान


. विधाता छंद विधान
१२२२,१२२२,१२२२,१२२२ = २८ मात्रा
१,८,१५,२२वीं मात्रा लघु अनिवार्य
उदाहरण - 
"बदलाव"
¶समय का चक्र चलता नित, सदा बदलाव होता है,
कभी खाली नहीं जाता, हँसी का गाँव होता है।
बदल जाती रही आशा, निराशा की भँवर गहरी,
पकड़ कर जो चला इसको, सफल वह दाँव होता है।।
¶बदलती जिंदगी यारों, नहीं रहती सदा प्रहरी,
सुखों की कामना बरसे, नजर में हो अदा गहरी।
नदी की धार कहती है, बहो सम रूप होकर ही,
किनारा पास आयेगा, टलेगी आपदा ठहरी।।
★★★★★★★★★★★★
मदन मोहन शर्मा 'सजल'
कोटा (राजस्थान)

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